hindisamay head


अ+ अ-

कविता

वि़द्या दो

लीलाधर जगूड़ी


विद्या दो भिखारी को
वह सब कुछ आत्‍मसात करना चाहता है
भूखे को भोजन की विद्या दो

अपराधी ने ईश्‍वर से कहा
हे ईश्‍वर ! मैं जो कुछ करता हूँ
तुमको अर्पित करता हूँ
मैं हरेक को मरा हुआ समझता हूँ

हे ईश्‍वर ! जो पहले ही मरे हुए हैं
उन्‍हें मारता हूँ मैं
इस महाभारत में

विद्या दो
विद्या दो
कोई और विद्या दो भिखारी को
रोटी से ही नहीं मिटेगी भूख
भूखे को भरपूर भोजन की विद्या दो

वरना भूखा
भोजन की कोई एक विद्या
खुद चुन लेगा।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में लीलाधर जगूड़ी की रचनाएँ